Why Earth has an Elliptical Orbit? Kepler's Laws of Planetary Motion in Hindi.

चलिए एक सवाल का जवाब दीजिये। ...

Why Earth has an Elliptical Orbit? पृथ्वी दीर्घवृत्ताकार कक्षा में चक्कर क्यों लगाती है? आज हम इसी सवाल के उत्तर को जानने की कोशिश करेंगे।  लेकिन उससे पहले कुछ ज़रूरी तथ्य जान लेते हैं।   

हम सभी पृथ्वी पर रहते हैं! इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है। रहें भी क्यों न, आखिर पृथ्वी ही अपने ज्ञात universe का इकलौता ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव है।  

17th Century तक हम सभी यही समझते रहे कि पृथ्वी स्थिर है और बाकि सभी आकाशीय पिण्ड उसके चारों तरफ परिक्रमा करता है। इस तरह की व्यवस्था को Geocentric Model कहते है। 

ऐसा नहीं है कि इस मॉडल के विरुद्ध किसी दूसरे मॉडल की थ्योरी नहीं आयी। 3rd Century BC में Aristarchus of Samos ने एक थ्योरी दी जिसके तहत उन्होंने बताया कि सूर्य पूरे सौर मण्डल के केंद्र में है और बाकि सभी पिण्ड  उसके चारो तरफ चक्कर लगाते हैं।  

इस तरह के मॉडल को Heliocentric Model हैं। 

17th Century में फाइनली Nicolaus Copernicus ने इस Heliocentric Model को mathematically represent किया और Johannes Kepler ने ग्रहों गति के बारे में थ्योरी दी और Galileo Galilei ने अपने टेलिस्कोप से इस थ्योरी का समर्थन किया। 

Johannes Kepler के ज़रिये हमें ग्रहों की गति का पता चला जिसे हम Kepler's Laws of Planetary Motion कहते हैं। तो आइये  हम इस Kepler's Laws of Planetary Motion के बारे में जानने की कोशिश करतें  हैं वो भी  हिंदी में। 

Kepler's Laws of Planetary Motion

Kepler ने ग्रहों की गति से सम्बन्धित 3 नियम दिए  चलिए उन्ही नियमों को जानते हैं विज्ञान सिज्ञान की इस  कक्षा में। 

1st Law of Planetary Motion 

साधारण भाषा में इस नियम के अनुसार, 

The orbit of a planet is an ellipse with the Sun at one of the foci.

सभी ग्रह सूर्य के  तरफ एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगते हैं हैं और सूर्य इस दीर्घवृत्त के एक foci पर होता है। 

इसको visually हम नीचे  के चित्र में देख सकते हैं।  

Kepler's 1st Law of Planetary Motion


2nd  Law of Planetary Motion 

The line joining the planet and the Sun sweeps equal areas in equal intervals of time.

ग्रह और सूर्य को मिलाने वाली रेखा समान समय अंतराल में समान क्षेत्र में घूमता है। 

इसको और भी अच्छे से  के लिए निचे के चित्र को देखिये।  

Kepler's 2nd Law of Planetary Motion

ऊपर दिए हुए इस चित्र में पृथ्वी की गति की ३ अवस्थाये दिखाई गयी हैं 

पहली  पृथ्वी अपनी कक्षा में Area SAB sweep करता है। 

दूसरी अवस्था में पृथ्वी Area SCD  sweep करता है। 

तथा तीसरी अवस्था में Area SEF sweep होता है। 

इस नियम के अनुसार ,

Area SAB  = Area SCD = Area SEF

ये क्यों होता है और कैसे होता है ये हम जब तीसरा लॉ भी देखलेंगे तो ज्यादा स्पष्ट समझ पाएंगे।  

Kepler's 3rd Law of  Planetary Motion 

इस नियम के अनुसार,

The Square of the period of revolution of a planet is directly proportional to the cube of its distance from the sun.

किसी ग्रह के परिक्रमण काल का वर्ग उसकी सूर्य से दुरी के घन के समानुपाती होती है। 

इस नियम से आप ये अनुमान तो लगा ही सकते है कि जब ग्रह सूर्य करीब होता है तो उसका पीरियड ऑफ़ रेवोलुशन भी काम हो जाता है अर्थात ग्रह की अक्षीय चाल बढ़ जाती है जिससे वो एक निश्चित समय में अपेक्षाकृत ज्यादा दुरी तय करता है। 

वही पर सूर्य से ज्यादा दुरी होने पर गृह का पीरियड ऑफ़ रेवोलुशन बढ़ जाता है और परिणाम स्वरुप उतने ही समय में पहली अवस्था के मुकाबले कम दुरी तय कर पाता है। 

इस व्याख्या से उम्मीद करता हूँ आपको 2nd Law का कांसेप्ट समझ आ गया होगा।  

Why Earth has an Elliptical Orbit?

अब हम चलते हैं अपने असल मुद्दे की तरफ। शुरू में मैंने एक सवाल किया था। 

Why Earth has an Elliptical Orbit?

चलिए अब इस बात को समझने की तरफ चलते हैं। 

इस बात को जानने ऐ पहले हम ये हम ये जान लें कि  पृथ्वी सूर्य के चारो तरफ चक्कर लगाती। और पृथ्वी का ये चक्कर इसलिए लगता है क्योंकि पृथ्वी सूर्य से एक centripetal force  या Gravitational Force से बंधी होती है। 

इस तथ्य में किसी भी तरह का कोई शक नहीं है। 

क्या आपको है ? Good...

होना भी नहीं चाहिए क्योंकि ये बहुत ही मूलभूत तथ्य है। 

तो ये कन्फर्म है कि  पृथ्वी सूर्य के चारो तरफ चक्कर लगाती है और पृथ्वी पर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल कार्य करता है। 

क्या सौर मण्डल में सिर्फ पृथ्वी और सूर्य ही हैं?

जी बिलकुल नहीं। 

हमारे सौर मण्डल में पृथ्वी और सूर्य के अलावा 7  Planets, 1 Dwarf  Planet, अनगिनत संख्या में asteroids और बहुत सारे उपग्रह। 

ये तो वो हैं जो हमें ज्ञात हैं इसके अलावा Trans-Neptunian बेल्ट में जहाँ अँधेरे के वजह से telescopes देख नहीं पाते है और बुध से पहले जहाँ पर सूर्य अत्यधिक प्रकाश होने के वजह से भी कुछ ज्ञात नहीं हो पता। 

तो ये स्पष्ट है कि सौर मण्डल में पृथ्वी और सूर्य के अलावा भी कई पिंड हैं।  और हमने Newton's Law of Gravitation पढ़ा है जो कि कहता है 

ब्रह्माण्ड में मौजूद दो वस्तुओं के बीच एक बल कार्य करता है जिसका मान उन दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती और उनके बीच की दुरी के विलोमानुपाती होता है। 

 यही वो  बल है जिससे पृथ्वी सूर्य से बंधी होती है। ये बल सिर्फ पृथ्वी और सूर्य के बीच ही नहीं बल्कि पृथ्वी और दूसरे ग्रहो के बीच भी लगता है। 

इसका सीधा मतलब ये निकलता है की पृथ्वी पर सिर्फ एक ही दिशा से नहीं बल्कि कई दिशाओं से बल ला रहे है जो उसे अपनी और आकर्षित करते हैं। 

हालाँकि ये बल सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में बहुत ही काम होते हैं फिर भी हम इन्हे इग्नोर नहीं कर सकते। 

ये गुरुत्वाकर्षण बल सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल को समाप्त तो नहीं कर पाते मगर उसका प्रभाव कम कर देते है। जिससे पृथ्वी अपने रोटेशन के दौरान उत्पन्न हुए संवेग के कारन एक वृत्ताकार मार्ग पर न चलकर tangentially आगे बढ़ जाती है। 

मगर पृथ्वी सूर्य के पकड़ से बाहर नहीं निकल पाती और फिर से सूर्य के ग्रुत्वकर्षण क्षेत्र में आकर उसके गिर्द चक्कर लगाने लगती है।  

इसको और बेहतर समझने के लिए नीचे के एनीमेशन को देखें।  यह पृथ्वी की दो तरह की गति दिखाई गयी। 

Planetary Motion


एक तो वृत्ताकार और दूसरी दीर्घवृत्ताकार। 

वृताकार गति तब जब सिर्फ सूर्य का ग्रुत्वकर्षण बल कार्य करे और यदि किसी और पिंड का भी गुरुत्वाकर्षण बल कार्य करे तो ये गति Gravitational Force Imbalance के वजह से प्राप्त होती है। 

तो यदि इस प्रश्न का उत्तर क लाइन में देना हो तो हम इस प्रकार दे सकते हैं।  

Gravitational Force के असंतुलन के वजह से पृथ्वी के घूर्णन का पथ दीर्घवृत्ताकार होता है। 

उम्मीद करता हूँ आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया  होगा। ऐसे और प्रश्नों के उत्तर के लिए हमारी इस website  को फॉलो करें और हमारा यूट्यूब चैनल भी सब्सक्राइब करें। 

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