What is the Value of Earth's Gravity on an object inside the Earth's Crust?

हमने पिछले कुछ आर्टिकल्स में ग्रेविटी के बारे में पढ़ा और जाना कि ग्रेविटी का मान पृथ्वी के अलग अलग हिस्सों पर अलग अलग होता है। 

ऐसा क्यों होता है ये जानने के लिए हम ग्रेविटी का फार्मूला देखते है कि  क्या होता है। 


इस फॉर्मूले से स्पष्ट रूप से यही दिखत है की पृथ्वी की ग्रेविटी उसके द्रव्यमान, उसका अर्धव्यास और Universal Gravitational Constant  पर निर्भर करता है। 

इस तरह से Universal Gravitational Constant जो कि पुरे universe में फिक्स होने के कारण  पृथ्वी की ग्रेविटी के प्रभाव का क्षेत्र 3 हिस्सों में बनता जा सकता है। 

  1. जब ऑब्जेक्ट पृथ्वी की सतह पर हो। 
  2. जब ऑब्जेक्ट पृथ्वी की सतह से कुछ ऊंचाई पर हो। 
  3. जब ऑब्जेक्ट पृथ्वी की सतह के भीतर हो। 

जब ऑब्जेक्ट पृथ्वी की सतह पर हो। 

चलो एक बात बताओ क्या पृथ्वी की सतह पर हर जगह g का मान समान होगा? 

जवाब न है। 

इसका कारण यह है कि पृथ्वी का आकार बिल्कुल गोलाकार नहीं है और इसलिए पृथ्वी की सतह पर उसके केंद्र से एक बिंदु की दूरी जगह-जगह कुछ भिन्न होती है। 

इसके घूर्णन के कारण, पृथ्वी भूमध्य रेखा पर उभरी हुई है और ध्रुवों पर चपटी है। इसकी त्रिज्या भूमध्य रेखा पर सबसे बड़ी और ध्रुवों पर सबसे छोटी है। 

इस प्रकार g का मान ध्रुवों पर उच्चतम (9.832 m/s2) होता है और घटते अक्षांश के साथ धीरे-धीरे घटता है। यह भूमध्य रेखा पर सबसे कम (9.78 m/s2) है।

जब ऑब्जेक्ट पृथ्वी की सतह से कुछ ऊंचाई पर हो। 

जैसे-जैसे हम पृथ्वी की सतह से ऊपर जाते हैं, फार्मूला  में  Rका मान बढ़ता है और g का मान घटता जाता है। हालाँकि, ऊँचाई के लिए कमी अपेक्षाकृत कम है जो पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना में छोटी है। 

उदाहरण के लिए, याद रखें कि पृथ्वी की त्रिज्या 6400 किमी है। यदि कोई हवाई जहाज पृथ्वी की सतह से 20  किमी की ऊंचाई पर उड़ रहा है, तो पृथ्वी की सतह से उसकी दूरी 6400 किमी से 6420 किमी में बदल जाती है और इसके कारण g के मान में परिवर्तन नगण्य है। 

दूसरी ओर, जब हम एक कृत्रिम उपग्रह को पृथ्वी की परिक्रमा करने पर विचार करते हैं, तो हमें पृथ्वी के केंद्र से उपग्रह की दूरी में बड़े परिवर्तन के कारण g के मान में परिवर्तन को ध्यान में रखना होगा। 

कुछ विशिष्ट ऊँचाई और इन ऊँचाइयों पर g के मान निम्न तालिका में दिए गए हैं।

Place

Height (km)

g(m/s2)

Surface of the earth (average)

0

9.8

Mount Everest

8.8

9.8

Maximum height reached by man-made balloon

36.6

9.77

Height of a typical weather satellite

400

8.7

Height of communication satellite

35700

0.225


जब ऑब्जेक्ट पृथ्वी की सतह के भीतर हो।

अब इस कैलकुलेशन के आधार पर आप ये बताइये की यदि ऑब्जेक्ट पृथ्वी की सतह के भीतर होगा तो उस पर ग्रेविटी का क्या प्रभाव होगा ?

आप कहेंगे की पृथ्वी की ग्रेविटी बढ़ेगी क्योंकि रेडियस कम हो रहा है।

आप सत्य कह रहे हैं मगर अधूरा । रेडियस कम तो होगा मगर ग्रेविटी बढ़ेगी नहीं, बल्कि कम होगी।

अब आप सोच रहे होंगे क्या फेक रहा है ? मैं बिलकुल सही कह रहा हूँ पृथ्वी के भीतर जाने पर ग्रेविटी बढ़ती नहीं है बल्कि घटती है। 

ऐसा क्यों होता है चलिए ये चीज़ समझते हैं।

देखिये, जब कोई ऑब्जेक्ट पृथ्वी की सतह के भीतर जाता है तो उसका रेडियस तो कम होता ही है मगर रेडियस के मुकाबले में उसका Mass  ज्यादा कम हो जाता का जिस वजह से ग्रेविटी का प्रभाव काम हो जाता है। 

अर्थात उस ऑब्जेक्ट पर earth  के mass का उतना ही हिस्सा काम करता है जितना उस ऑब्जेक्ट की पृथ्वी के केंद्र से दुरी के प्रभाव में होता है।  

Effect of Earth's Gravity inside the Surface of the Earth

ऊपर के चित्र में देखें, ये पृथ्वी का एक प्रारूप है।  जब ऑब्जेक्ट केंद्र से Re डिस्टेंस पर होगा तो उस पर पृथ्वी पृथ्वी का सम्पूर्ण द्रव्यमान कार्य करेगा। 

और जब वही ऑब्जेक्ट 0.9Re दुरी पर होगा तो उस वक़्त वो हिस्सा जो Re और 0.9Re के बीच होगा उसका द्रव्यमान उस ऑब्जेक्ट पर प्रभावी नहीं होगा।  यहाँ पर मैंने वो हिस्सा नीले रंग से दिखाया है। 

यहाँ से आपको समझने में कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए कि पृथ्वी का प्रभावी द्रव्यमान बहुत ही बड़ी मात्रा में काम हो जायेगा। 

इसको और भी अच्छे से समझने के लिए हम एक कैलकुलेशन कर के देखते है। 

इस कैलकुलेशन के लिए हमें मास और वॉल्यूम का रिलेशन जानना होगा। और साथ ही साथ किसी स्फेरिकल ऑब्जेक्ट के वॉल्यूम का फार्मूला जाना होगा। 

Relation Between Mass and Volume 

यहाँ पर यदि हम पृथ्वी की Density को constant मान लें और ये मान ले की इसकी वैल्यू 1 है तो 

Mass = Volume 

इस तरह से हम यदि पृथ्वी का वॉल्यूम  निकल लें तो उसका mass भी निकल सकते हैं। 

अभी सवाल उठता है कि  पृथ्वी का वॉल्यूम कैसे निकालेंगे?

आसान है ! पृथ्वी का आकार गोलाकार है और किसी भी गोलाकार वस्तु के लिए वॉल्यूम का फार्मूला होता है 




इस फॉर्मूले में अगर हम ध्यान से देखें तो r जो कि रेडियस है के अलावा बाकि सभी राशि स्थिर हैं  तो हम यूँ कह सकते हैं 

Volume = r3

अब हम अपना कैलकुलेशन शुरू करते हैं

पृथ्वी की सतह पर ग्रेविटी 

सामान्य स्थिति में पृथ्वी का वॉल्यूम होगा 

पृथ्वी का वॉल्यूम = Re3

 

अतः पृथ्वी का मास्स होगा

पृथ्वी का मास्स = Re3

 पृथ्वी की ग्रेविटी होगी 

Value of Gravity

पृथ्वी की सतह से निचे ग्रेविटी 

ये कैलकुलेशन करने के लिए हम ये मान लेते हैं की वही ऑब्जेक्ट अब पृथ्वी की सतह के नीचे इतनी गहराई में है कि  वहां से पृथ्वी का रेडियस घट कर 0.9Re रह जाता है। 

ऐसे में अगर ऊपर के जैसे कैलकुलेशन करते हैं तो 

Gravity Inside the Surface of the Earth

यहाँ से आप clearly देख सकते हैं कि पृथ्वी की सतह पर ग्रेविटी उसके रेडियस के बराबर रहती है जबकि  सतह के अंदर जाने पर ग्रेविटी का मान काम हो जाता है। 

तो अगली बार अगर कोई आप से पूछे की पृथ्वी के सतह के नीचे ग्रेविटी कैसी रहती है।  तो  आप जवाब दे देना की ग्रेविटी का मान काम हो जाता है। 

उम्मीद करता हूँ आपको टॉपिक समझ में आया होगा अगर किसी भी तरह की समस्या हो तो आप संपर्क करें। 




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